बल्ब का अविष्कार किसने किया और कब साथ ही बल्ब का पूरा इतिहास
आपको मेरा आदाब! और सबसे पहले आपके सवाल का जवाब दे देता हु. की बल्ब का आविष्कार थॉमस आल्वा एडिसन ने किया था. लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं हे जिसको हम आगे आर्टिकल में पढेंगे. दोस्तों अगर में किसी से पुछू की क्या लगता है आपको, हमारी इस पृथ्वी पर आज तक का सबसे बड़ा अविष्कार क्या है? तो शायद 90% लोगो का जवाब होगा जी बल्ब! और ये एक तरीके से सही भी है. आज अगर हम हमारी आस पास देखे तो हमने जो कुछ भी हासिल किया है वो बिजली और बल्ब के बदोलत ही है.
अगर आज बिजली और बल्ब नहीं होते तो आप आज ये लेख को नहीं पढ़ रहे होते! और शायद आज भी हम घरो में दीपक जलाकर गुजारा कर रहे होते अब चलिए बढ़ते हमारे लेख को तरफ और जानते हे की bulb ka avishkar kisne kiya? या फिर light ka avishkar kisne kiya? इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े आपको इसका जवाब खुद मिल जाएगा!
1.बल्ब का अविष्कार किसने किया और कब?
-Ans. बल्ब का अविष्कार थॉमस आलवा एडिसन ने सन 1879 में किया था.
2.क्या सिर्फ एडिसन ने बल्ब का अविष्कार किया था?
दोस्तों आज तक हमारे स्कूल में और कॉलेजों में हमें यही पढ़ाया जाता है की बल्ब का अविष्कार “थोमस आलवा एडिसन” ने किया था. लेकिन ये बात एकदम पूरी तरह सच नहीं है. सन 1879 में थॉमस आलवा एडिसन एक मात्र ऐसे व्यक्ति नहीं थे जिन्होंने बल्ब का अविष्कार किया था.
इतिहासकारो की माने तो थॉमस से पहेले ही तकरीबन 20 से भी अधिक प्रकाशित बल्ब बनाए गए थे. लेकिन कहते है ना की,आगे वही बढ़ता है जिसके सामान में दम होता है.या फिर उसकी पदवी ऊँची हो. बिलकुल यही चीज तब भी हुई थी. हालाँकि इसका श्रेय सिर्फ एडिसन को नहीं जाता. लेकिन एडिसन को सिर्फ तिन कारणों से सफलता मिली,
पहला– उनके बल्ब का दुसरो से अच्छा होना
दूसरा– ज्यादा रौशनी देना और
तीसरा– ज्यादा प्रतिरोधक होना और साथ ही बहुत ही आसानी से व्यवहारु जीवन में आसानी से उपयोग में ले पाना.
इन सभी चीजो के कारण ही थॉमस आलवा एडिसन को एक महान विज्ञानी होने का दर्जा मिला. लेकिन यहाँ पर कुछ और चीजे भी हे जो दुनिया से छिपी हुई है. दरअसल अगर आप थॉमस आल्वा एडिसन के इतिहास को थोडा और बारीकी से देखेंगे तो आपको पता चलेगा की थॉमस आल्वा एडिसन ने उनको महान साबित करने वाले आविष्कारो को चुराया था. इतिहास में आपको इसके बहुत सारे साबुत मिल जाएंगे. जिनमे से कुछ को में आपके सामने प्रस्तुत करना चाहूँगा.
1)कार्बन फिलामेंट बल्ब का अविष्कार
दोस्तों अभी तक तो हमें सिर्फ यही पता हे की एडिसन ने कार्बन फिलामेंट लेम्प बनाया लेकिन हकीकत में एडिसन से बिलकुल 10 साल पहले ही कार्बन फिलामेंट बल्ब का अविष्कार हो चूका था. ईस बल्ब को जोशेफ़ स्वान नामके एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने 10 पहले ही पेटंट करवा लिया था. और ईस खोज को अमेरिका के Scientific America नामक जर्नल में पब्लिश किया गया था.
2)फ्लुरोस्कोपे का अविष्कार
दोस्तों फ्लुरोस्कोप एक साधन हे जिसका उपयोग हमारे शरीर का एक्स-रे (X-RAY) निकालने के लिए होता हे. हमारे एडिसन सर की प्रतिभा को देखते हुए लोगो ने यह मान लिया की यह भी उनका ही आविष्कार हे लेकिन हकीकत में एडिसन से पहले ही इसकी खोज हो चुकी थी.
फ्लुरोस्कोप की खोज थॉमस आल्वा एडिसन से एक साल पहले 1895 में एक जर्मन वैज्ञानिक विलियम रोंटजेने की थी.और इसके 1 साल बाद ही हमारे एडिसन सर ने भी इसी की खोज कर डाली.यह बात लोगो में काफी चर्चित बनी. लेकिन फिर एडिसन के प्रतिभा को देखते हुए लोगोने इसे भी सच मान लिया और एडिसन इससे पैसे छापने लगे.
3)स्पीच रेकॉर्डर का अविष्कार
दुनिया के मुताबिक एडिसन ने सन 1877 में स्पीच रेकॉर्डर की खोज की. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की स्पीच रेकॉर्डर यंत्र की खोज तो 15 साल पहले ही फ्रांस के एक वैज्ञानिक Edouard-Leon Scott द्वारा हो गई थी. आवाज को रिकॉर्ड करने वाले ईस यंत्र का नाम उन्होंने Phonautograph रखा था. लेकिन फिर हमारे एडिसन सर ने दोबोरा ईस यंत्र को बनाया और उसे खुदका बताके अलग नाम दिया phonograph.
और ऐसे ही कई सारे उदाहरण मौजूद हे यह साबित करने के लिए की एडिसन के जयादातर अविष्कार दुसरो की कॉपी हे. दोस्तों अब इसमें कोई बड़ी बात हे नहीं क्यूंकि यह इन्सान का सामान्य व्यवहार हे. जब किसी इन्सान के पास पावर आ जाती हे तो वह उसे अवश्य खुदके फायदे के लिए उपयोग करता हे.आपका क्या कहना हे ईस बारे में हमें जरुर बताइए.
3.बल्ब का आविष्कार और बल्ब का इतिहास
जब थॉमस को पहली बार बल्ब बनाने में सफलता मिली तो उनकी स्पर्धा दुसरे लोगो से थी.परन्तु साथ ही वो सस्ता और बहुत ही आसानी से व्यव्हार में उपयोग में आ सके इस प्रकार के बल्ब बनाने में लगे हुए थे. जिसके लिए एडिसन ने मेन्स्लो पार्क, एन.जे. में एडिसन की प्रयोगशाला में एडिसन और उनकी टीम ने सन 1878 से लेकर 1880 के बीच सिर्फ अच्छे बल्बों के लिए तक़रीबन 3,000 से अधिक डिजाइनों का परीक्षण किया।
इसके बाद साल 1879 में थॉमस ने नवंबर महीने में कार्बन फिलामेंट के मदद से बनाए गए एक इलेक्ट्रिक लेम्प को पेटेंट किया था.इस पेटेंट में बहुत सारी अन्य चीजो को भी सामिल किया गया था फिलामेंट्स के रूप में. जैसे की लाइनोंन, कपास और साथ ही बांस की लकड़ी को. इसके बाद थॉमस आलवा एडिसन ने अगेले कुछ साल लगा दीए सिर्फ एक बेहतर बल्ब को तैयार करने में. और इसके लिए उन्होंने तक़रीबन 6000 से अधिक पौधो का भी निरिक्षण कीया की कौन सी चीज ज्यादा देर तक जल सकती है. और आखिर में बहुत सारे प्रयासों के बाद हमें एक अच्छी रौशनी वाला बल्ब मिली ही गया.
वैज्ञानिक थॉमस आलवा एडिसन के 1879 में जारी किए गए पेटंट के कई सारे महीनो बाद एडिसन और उनकी टीम ने पाया की बांस के रेसों की मदद से बनाया गया फिलामेंट की जलने की क्षमता 1200 घंटो से भी अधिक थी.उस समय में थोमस के सभी बल्बों में बांस के रेसों से बने फिलामेंट्स को उपयोग में लिया जाता था.
इसका उपयोग तब बंध हुआ जब 1880 के दशको में इससे अधिक जलने वाले बल्बों की खोज हो सकी! और इसी के साथ बल्बों में सतत प्रगति होती गई.और 1903 में उनके ही एक researcher ने एक नया आधुनिक तार खोजा जिससे की कार्बन के फिलामेंट्स बहुत ही आसानी से बल्ब के अन्दर के काच को बिना काला किए जल सके. और ऐसे ही प्रगति होती रही.
4.बल्ब में टंग्स्टन धातु का उपयोग
एडिसन के बाद एक अमेरिकन physicist विलियम डेविड ने बल्ब के प्रोडक्शन के पुराने तरीको में बदलाव किए और नई धातु टंग्स्टन का उपयोग करना चालू किया. आपको बता दूँ की टंग्स्टन धातु का गलन बिंदु बहुत अधिक है अन्य धातुओ के मुकाबले जिसकी वजह से आज भी इसे कई जगहों पर प्राथमिकता दी जाती है.
साथ ही इस फिलामेंट को 19 विं सदी में एडिसन द्वारा बताया गया था लेकिन उस समय में उनके पास इतनी उच्च कक्षा की टेक्नोलॉजी नहीं थी जिनकी मदद से वो अच्छे प्रकार के पतले फिलामेंट्स बना सके टंग्स्टन का उपयोग करके.आज भी कई जगहों पर टंग्स्टन से बने बल्बों को प्राथमिकता दी जाती है.
5.LED बल्ब का आविष्कार
LED का फुल फॉर्म लाइट एमिटिंग डायोड(Light-Emitting Diodes) है. आज के दौर में हम ये बोल सकते है की पूरी पृथ्वी पर सिर्फ LED का ही बोलबाला है. और इसके पीछे की वजह भी खास है. खास इसीलिए क्योंकि ये बहुत ही कम बिजली का उपयोग करते है जिससे की खर्चा भी बहुत ही कम आता है. और कई सालो तक बिना रुकावट के चलते है. जिसकी वजह से लोगो की पहली चोइस LED है. और ये काफी कम दामो में भी मिल जाती है.
आज के जमाने में लोगो की सोच काफी ज्यादा बदल गई है.और साथ ही सभी वस्तुओ में विभिन्त्ता देखने को मिलती है. अब तो लोग CFL बल्बों का भी उपयोग करने लगे है जोकि अन्दर भरे गेसो के गरम होने से कुछ खास प्रकार के अल्ट्रा-वायोलेट तरंगो का उत्सर्जन करते है. और ये भी काफी प्रचलित है.-bulb ka avishkar kisne kiya
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