रेडियो का अविष्कार किसने किया और कब था | रेडियो की खोज किसने की

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Radio ka avishkar kisne kiya?

रेडियो का अविष्कार किसने किया 

रेडियो के अविष्कार की बात करने से पहले, रेडियो के बारे में थोडा जान लेते हे. दोस्तों रेडियो आज की जनरेशन के लिए शायद उतनी दिलचस्प नहीं हे. या फिर कहे तो रेडियो का उपयोग लोग न के बराबर करते हे. हालाँकि अभी भी कई लोग हे जोकी अभी भी रोज सुबह और शाम को रेडियो को सुनना पसंद करते हे. जैसे की हमें पता है, रेडियो का उपयोग हम अलग अलग रेडियो स्टेशन की मदद से news,songs,और साथ ही मनोरंजन के प्रोग्राम सुनते हे. वैसे मेंरे गाव में अभी भी कुछ बुजुर्ग लोग हे, जो आज भी रोज सुबह रेडियो को सुनना पसंद करते हे.और भारत में Radio MirchiBigFM 92.7Red FM 93.5, तथा Vividh Bharati  जैसे कई सारे प्रख्यात रेडियो स्टेशन भी हे.तो चलिए जानते हे आखिर रेडियो का अविष्कार किसने किया.

Q.रेडियो का अविष्कार किसने किया और कब किया ?
 ➤रेडियो का अविष्कार गिग्लेल्मो मार्कोनी ने दिसंबर महीने में सन 1895 में किया.

रेडियो का अविष्कार और इतिहास में एक नजर

रेडिओ के अविष्कार की सुरुआत होती हे इटली शहर से जहा पर 24अप्रेल 1874 में एक बसे घराने में मार्कोनी का जन्म हुआ. मार्कोनी का घर काफी बड़ा था. और आपने सुरुआती सालो में ही छोटी सी उम्र में गिग्लेल्मो मार्कोनी को विज्ञान क्षेत्र में काफी ज्यादा रूचि थी. रूचि इतनी ज्यादा थी की उन्होंने अपने घरने ऊपर वाले कमरे को ही विज्ञान के प्रयोग करने के लिए पसंद किया था. जहा पे वो पुरे दिन कुछ न कुछ नया करते रहते थे. हालाँकि उनके पिता को उनकी बाते बिलकुल पसंद नहीं आती थी. लेकिन उनकी माता की और से उन्हें काफी ज्यादा सपोर्ट मिलता था. मार्कोनी आपने प्रयोगों में इतनी ज्यादा उल्ज़े रहते की उन्हें खाना खाने को भी याद नहीं रहता था. इसीलिए उनकी माता मार्कोनी का खाना सीधा ऊपर वाले कमरे में ले जाती थी. और उखाणा खिलाती थी.

जब मार्कोनी 20 साल के थे तब हेनरिच हर्ट्ज़ रेडिओ तरंग की खोज की. उनकी इस खोज का पता चलने के बाद मार्कोनी को विचार आया की हम इस तरंग को किसी संदेस को एक जगह से दूसरी जगह तार के उपयोग किए बिना हम भेज सकते हे. इसके बाद वो आपनी इस विचार के ऊपर कम करने लेगे.

एक दिन की बात हे जब मार्कोनी अपनी लेब में कम कर रहे तब उन्होंने एक अनोखी चीज की खोज कर डाली. उस समय काफी रत हो चुकी थी. फिर भी मार्कोनी दोड़ते हुए अपनी माँ के पास गया और बोला माँ जल्दी ऊपर चलो मुजे आपको कुछ दिखाना हे. पहले तो उनकी मने नींद में ऐसे कुछ बोली और फिर अपने बेटे की बात मानते हु ऊपर देखने के लिए चली गई.

ऊपर जाने के बाद मार्कोनी के माँ को कुछ समाज नहीं आया. तभी मार्कोनी ने अपने माँ की हाथो में एक बेल यानि की घंटी थमा दी. उसके बाद मार्कोनी उनसे थोड़े दूर जाके खड़े हो गए और मोर्स कोड को दबाया. उनके इस को दबाते ही मार्कोनी की माँ सिनोर के हाथ में राखी घंटी बजने लगी. इसे देख कर मार्कोनी की माँ ने उसे काफी सबसी दी. लेकिन उन्हें ये बिलकुल भी समाज नहीं आया की इलेक्ट्रिसिटी वायर के बिना आखिर ये घंटी बजी कैसे. कुच्छ देर के लिए वो सोच में पद गई लेकिन फिर निचे अपने कमरे में जाके सो गई. लेकिन उनको का पता था! उनका बेटा आगे जाके इतिहास रचने वाला हे.

जो भी हे. लेकिन वो कहावत हे छोटी छोटी सफलता ही इंसान को बड़े मुकाम पर पहोचाती हे. इसीसलिए मार्कोनी के इस छोटी सी सफलता ने उनके में एक जोश भर दिया था. और उन्हें इसी के वजह से अपनी रिसर्च को आगे बढाने की प्रेणना मिली. और आपने इस रिडियो मशीन की कैपेसिटी को घर से बहार निकाल कर अपनी सीमा को घर के बहार बाग़ तक ले गए.

इसके बाद कुछ ही समय में मार्कोनी ने अपना एक और नया ट्रांसमीटर डिवाइस बना डाला. इस बार अपने प्रोग में उसने अपने भाई को भी सामिल किया था. इस ट्रांसमीटर की परीक्षण के लिए दोनों एक पहाड़ी पर पहुचे. और जैसे ही मार्कोनी ने अपना सन्देश ट्रांसमिट यानि की भेजा, थोड़े ही देर में भाई को रिसीव हो गया. और जैसे ही उनको ये पता चला दोनों हो बहुत जोर से नाचने लगे. उनकी इस सफलता से उनकी खुशी का ठिकाना न रहा. और इसके बाद उन्होंने अपनी रिसर्च को जारी रखा. इसके बाद उन्हें विश्वास हो गया की उनका यंत्र सही से कम कर रहा हे.

इनके रेडियो के अविष्कार के बाद उन्होंने अपने इस आविस्कर को  आगे बढ़ने के लिए इटली सरकार के डाक विभाग से पैसो की मांग की लेकिन इटली सरकार ने उनके इस अविष्कार में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई. और पैसे देने से मन कर दिया. इसके बाद जब वो 22 साल के थे तब वो इंग्लेंड चले गए. वहा पर फिर उन्होंने अपनी आगे का प्रशिक्षण चालू रखा.


सन 1896 से लेकर  1897 तक मार्कोनिने लन्दन में बहुत सरे शो किए. और वहा पर बिना तार की मदद से सन्देश को एक जगह से दुसरे जगह पर सफलता पूर्वक भेजा. इनका ये प्रयोग उस समय में यूरोप में काफी ज्यादा प्रचलित हुआ था.  इसके बाद सन1897 में इस रेडियो की रेंज को १२ मिल तक बाधा लिया. और इस  सफलता के बाद उन्होंने अपनी रेडियो कंपनी स्थापित की जिसे मार्कोनी कंपनी के नाम से जाना गया.

अगले आने वाले दो दशको में रेडियो संचार की पूरी तरह से काया पलट हो गई. और इनके इसी अविष्कार के बाद  14 फरवरी 1922 को  इंग्लेंड में सबसे पहली रेडिओ संचार सेवा स्थपि गई.

गिग्लेल्मो मार्कोनी के इसी महँ रेडिओ के अविष्कार के लिए उन्हें सन 1909 को 33 साल की उम्र में उन्हें नोबेल पुरुष्कार से सन्मानित किया गया. इसके अलावा सन 1930 में उन्हें रॉयल एकेडमी सोसाइटी का अध्यक्ष बना दिया गया.

➤Interesting facts about the radio in hindi

1. दोस्तों सुरुआती दौर में रेडियो को “wireless telegraphy” कहा  जाता था. जिसकी वजह से उसका नाम बादमे wireless हो गया.

2. सन 1859 में भारितीय इतिहास के महाँन वैज्ञानिको मेसे एक  डॉ.सुभासचंद्र बोझ रडियो को एक जगह से दूसरी जगह भेजने की कोसिस किया था, लेकिन वह उसमे असफल रहे थे.

3. रडियो की दुनिया में उपयोग होने वाला broadcasting शब्द रेडिओ ट्रांस्मिसन के लिए होता हे.

4. दोस्तों क्या आपको पता हे? 13 फरवरी को वर्ल्ड रेडियो दिवस के नाम से मनाया जाता हे.

5. दुनिया में सबसे पेला विज्ञापन सन 1923 में दिखाया गया था.

6. एक अनोखा intersting fact ये हे की सन 1930 के दसको में रेडिओ के लिए लाइसेंस लेना पड़ता था. जिसका किराया तक़रीबन 10 रूपया लेते थे.

7. इतिहास के महाँन नेता हमारे रास्ट्रीयपिता करमचंद गाँधी ने रेडियो पर ही भारत छोडो की बात की बात की थी. जिसकी वजह से सन 1942 में अंग्रेजो ने रडियो पर बैन लगा दिया था.

8. दोस्तों क्या आप जानते हो की भारत में रेडिओ की सुरुआत 13 जुलाई 1927 में हुई थी. जोकि कोलकाता में सुरु किया गया था.

9. दोस्तों हमारे देश में आज़ादी से पहले किसी भी प्राइवेट कंपनी को   रेडयो का उपयोग करने की परमिशन नहीं था. लेकिन आखिर में 2001 में सबसे पहला प्राइवेट रेडिओ स्टेशन बेंगलोर में खोला गया था.

10. एव्डियो ट्रांस्मिसन की भविष्यवाणी सन 1860 में ही क्लार्क मेक्सवेल द्वारा किया गया था.

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