Weird Planets in Hindi
WASP-12b (अपने ही पेरेंट स्टार को खाने वाला ग्रह)
ये 1 अप्रैल 2008 में खोजा गया एक गैस का बना ग्रह है जो धरती से 1,200 प्रकाश वर्ष दूर है। इसके सारे गुण हमारे सौरमंडल के जुपिटर से मिलते है और ये भी जुपिटर की तरह ही अपने स्टार WASP-12 के चक्कर काटता है। लेकिन यह जुपिटर के मुकाबले 2 गुना बड़ा है और इसका द्रव्यमान भी जुपिटर से 1.4 गुना ज्यादा है। WASP-12b अपने स्टार के बहुत ही ज्यादा नजदीक है जिस वजह से इसे अपने स्टार का चक्कर लगाने में सिर्फ 25 घंटे लगते है और स्टार के बहुत नजदीक होने के कारण इस ग्रह का तापमान 2210° सेल्शियस तक होता है। इस ग्रह की चौंकने वाली बात ये है कि इसका स्टार इसे बहुत तेजी से अपनी और खींच रहा है जिस वजह से ग्रह में बहुत ज्यादा ग्रेविटी और टाइडल फोर्स का इस्तेमाल होता है और इसी वजह से WASP-12b अंडे के आकार का बनते जा रहा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है की 10 मिलियन सालों में WASP-12b का पेरेंट स्टार इसे पूरी तरह से खा जायेगा।
HD 149026 b (सबसे काला ग्रह)
यह ग्रह हमारी पृथ्वी से 256 प्रकाश वर्ष दूर है और ये अब तक का खोजा गया अंतरिक्ष का सबसे काला ग्रह है। यह जुपिटर की तरह ही गैस से बना हुआ ग्रह है लेकिन इसका तापमान 2700°C है जो जुपिटर की सतह से 3 गुना ज्यादा है। इस ग्रह की खास बात है कि ये अपने ऊपर पड़ने वाले किसी भी तरह के प्रकाश को बिल्कुल भी प्रतिबिंबित नहीं करता जिस वजह से ये दिखने में कोयले से भी ज्यादा काला है जिसे अंतरिक्ष के अंधेरे में देख पाना बहुत ही मुश्किल है। ये अबतक का खोजा गया सबसे अंधेरा प्लेनेट है।
55 Cancri E (हीरे से बना ग्रह)
55 Cancri E 30 अगस्त 2004 में खोजा गया एक खास एक्सो-प्लेनेट है जिसकी सतह हीरे (Diamond) से बनी हुई है और यह पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर है। यह कार्बन से बना ग्रह है और आकार में पृथ्वी से दोगुना बड़ा है और इसका द्रव्यमान (Mass) भी पृथ्वी से 8 गुना ज्यादा है। 55 Cancri e पृथ्वी की तरह ही अपने पेरेंट स्टार का चक्कर लगाता है और इसे एक चक्कर पूरा करने में सिर्फ 18 घंटे लगते है। अपने स्टार के बहुत ज्यादा करीब होने के कारण इस ग्रह का तापमान 2700°C तक होता है, बहुत ज्यादा तापमान और कार्बन के बने होने के कारण इस ग्रह ही परिस्थितियाँ हीरा बनाने के लिए पूरी तरह अनुकूल है और इसकी सतह पर बहुत से हीरे मौजूद हो सकते है।
Kepler 452b (दूसरी पृथ्वी)
वैज्ञानिक बहुत सालों से पृथ्वी के जैसे ग्रह को खोजने में लगे हुए है और 2015 में खोजा गया Kepler 452b उनकी सबसे बड़ी सफलता है क्यूंकि ये ग्रह बहुत से मायनों में पृथ्वी के जैसी है इसलिए इसे Super Earth और Earth 2.0 नाम भी दिया गया है।। यह ग्रह पृथ्वी से लगभग 1.5 गुना बड़ा है और इसकी इसके तारे से दुरी भी पृथ्वी और सूरज के दुरी जितनी ही है और इस ग्रह का तापमान पृथ्वी की तरह ही न ज्यादा गर्म है और न ही ज्यादा ठंडा है। यह ग्रह भी पृथ्वी की तरह ही अपने तारे का चक्कर काटती है और इसे एक चक्कर पूरा करने में 385 दिन लगते है। पृथ्वी की तरह ही Kepler 452b में भी बड़े चट्टान, ज्वालामुखी और समुन्द्र मौजूद है जिससे वैज्ञानिकों का अनुमान है वहाँ पर भी इस समय पृथ्वी की तरह ही जीवन मौजूद होगा। लेकिन दुःख की बात ये है की ये ग्रह पृथ्वी से 1800 प्रकाश वर्ष दूर है और इंसानों की सबसे तेज बनाई गयी स्पेसक्राफ्ट जिसकी गति 59,000 km/h है, इस गति से भी हमें Kepler 452b में पहुंचने में 3 करोड़ साल लग जाएंगे।
J1407b (सबसे बड़े रिंग्स वाला ग्रह)
यह एक्सॉप्लेनेट हमारी पृथ्वी से 434 प्रकाश वर्ष दूर है जो सिर्फ 16 मिलियन साल पुरानी है। J1407b की खासियत इसके रिंग्स है जो हमारे सौरमंडल में मौजूद शनि ग्रह की तरह ही है लेकिन शनि ग्रह के मुकाबले 640 गुना बड़े है इसीलिए इस एक्सॉप्लेनेट को Super Saturn नाम भी दिया गया है। J1407b के रिंग्स कितने बड़े है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि इसके ये रिंग्स 7 करोड़ किलोमीटर तक फैले हुए है। अगर J1407b हमारे सौरमंडल में होता तो आसमान दिखने में बहुत खूबसूरत लगता लेकिन ये बहुत ही जानलेवा भी हो सकता था क्यूंकि ऐसे रिंग Asteroid के टुकड़ों से बनी होती है जिन्हें एक्सॉप्लेनेट की ग्रेविटी आपस में जोड़कर रखती है और अगर Asteroid का कोई टुकड़ा पृथ्वी में गिर गया तो वह इंसानों को भी डायनासौर की तरह पृथ्वी से खत्म कर सकती है।
Gliese 436b (ग्रह जो फिजिक्स के नियमों को नहीं मानता)
वैज्ञानिकों ने Gliese 436b नाम का एकऐसा एक्सॉप्लेनेट ढूँढा है ज हमारी पृथ्वी र पढ़ाये जाने वाली फिजिक्स के नियमों को पूरी तरह गलत साबित करती है। यह एक्सॉप्लेनट आकार में हमारे सोरमंडल में मौजूद नेपच्यून के जितना ही है लेकिन ये अपने पेरेंट स्टार के बहुत करीब से चक्कर काटता है जिस वजह से इस ग्रह का तापमान 439°C तक है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है की यह एक्सॉप्लेनेट बर्फ का बना हुआ है और विज्ञान के अनुसार इतने तापमान में बर्फ को पिघल कर तरल बन जाना चाहिए लेकिन Gliese 436b के सतह पर उबलता हुआ बर्फ मौजूद है।
Gliese 1214b (सबसे ज्यादा पानी वाला ग्रह)
इस एक्सॉप्लेनेट को दिसंबर, 2009 में खोजा गया था और यह हमारी पृथ्वी से 48 प्रकाश वर्ष दूर है। Gliese 1214b की खास बात यह है कि यह एक्सॉप्लेनेट पूरा पानी से भरा हुआ है और यहाँ पर कोई सुखी जमीन मौजूद नहीं है और ये अब तक का खोजा गया सबसे ज्यादा पानी वाला एक्सॉप्लेनेट है। पृथ्वी पर खोजी गयी अब तक की सबसे गहरी जगह प्रशांत महाशगार मे मौजूद Mariana Trench है जो लगभग 11 किलोमीटर गहरी है लेकिन Gliese 1214b पृथ्वी के मुकाबले 8 गुना बड़ी है और वैज्ञानिको का अनुमान है कि Gliese 1214b के समुद्र 9,000 किलोमीटर तक गहरे हो सकते है और अनुमान है कि पानी के इतनी गहराई में बहुत से भयानक जीव भी मौजूद हो सकते है।
2MASS J2126-8140 (सबसे बड़ा सौरमंडल)
ये तो सभी लोग जानते है कि ग्रह (Planet) अपने तारे/सूरज का चक्कर काटते है और इनका खुद का सौर मंडल होता है। लेकिन 2MASS J2126-8140 एक ऐसा एक्सॉप्लेनेट है जो TYC 9486-927-1 नाम के Red Dwarf तारे का चक्कर लगाता है लेकिन अजीब बात ये है कि ये एक्सॉप्लेनेट अपने तारे से 1 ट्रिलियन किलोमीटर दूर है जो कि पृथ्वी और सूरज की दुरी से 7000 गुना ज्यादा है। 2MASS J2126-8140 एक्सॉप्लेनेट को अपने होस्ट स्टार का एक चक्कर पूरा करने के लिए लाखों साल लग जाते है। ये ब्राह्मांड में खोजा गया अब तक का सबसे बड़ा सोलर सिस्टम भी है लेकिन वैज्ञानिक हैरान है कि इतने बड़े सौर मंडल का निर्माण कैसे हुआ होगा।
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